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दूरदर्शिता एवं उद्देश्य

क्षेत्रीय जैवप्रौद्योगिकी केन्द्र का अधिदेश अनेक विषयों के अंतरापृष्ठ पर जैवप्रौद्योगिकी शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए मंच प्रदान करना है। केन्द्र के कार्यक्रम बहुविषयक अनुसंधान में छात्रों को शामिल करने हेतु अवसर प्रदान करने के लिए तैयार किए गए हैं, जहाँ वे अभियांत्रिकी, चिकित्सा एवं विज्ञान को समाहित करते हुए जैवप्रौद्योगिकी विज्ञान सीखते हैं ताकि वे मानव तथा पशु, स्वास्थ्य, कृषि एवं पर्यावरण प्रौद्योगिकी के लिए उपयुक्त समाधान प्रदान कर सकें।

केन्द्र का मिशन जैवप्रौद्योगिकी में बहु-विषयक शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर सृजित करना है। इसका उद्देश्य जैवप्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए मानव संसाधन तैयार करना है, विशेष रूप से नए अवसरों के क्षेत्रों में और कमी वाले क्षेत्रों में प्रतिभा की कमी को पूरा करना है।

जैवप्रौद्योगिकी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए केन्द्र को भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से 'राष्ट्रीय महत्ता का संस्थान' के रूप में मान्यता दी गई है। केन्द्र को "यूनेस्को संस्थानों तथा केंद्रों की स्थापना और कार्य सिद्धांतों एवं दिशानिर्देशों" के संदर्भ में "श्रेणी II केन्द्र " के रूप में भी जाना जाता है।